6-12 saal ke baccho ko kya khilaye in hindi: क्या आपका भी बच्चा अभी 6 से 12 महीने का है? और आपको समझ मे नहीं आ रहा है की उसे क्या, कैसे और कब खिलाएं? तो कोई न आज का यह आर्टिकल आपके लिए ही होने वाला है, जिसमें 6-12 साल के बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए कुछ सुझाव दी गई है।
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6-12 saal ke baccho ko kya khilaye in hindi
दोस्तों इस भीषण गर्मी मे जानवर से लेकर मानव हर जीव परेशान है। ऐसे मे हमे अपने छोटे बच्चों का बहुत ही ख्याल रखना पड़ता है। खास कर जब आपका बच्चा केवल 6 से 12 महीने का हो तब। हमे गर्मियों मे इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए की उसे क्या, कब और कैसे खिलाएं। और यह सवाल हर एक नई माँ का होता है, जो आज इस आर्टिकल के मदद से उनका सवाल खत्म होने वाला है।
वैसे तो जब आपका बच्चा 6 महीने तक का होता है तब तक उसे बच्चे के माँ के दूध अलावा और कुछ भी नहीं खिलना या पिलाना चाहिए। क्योंकि 6 महीने के कम उम्र के बच्चे का शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है। जिससे वह माँ के दूध के अलावा कुछ भी डाइजेस्ट नहीं कर सकता है।
लेकिन जैसे ही बच्चे के उम्र 6 महीने की होती है। उसके शरीर का विकास भी होना शुरू हो जाता है। जिसके कारण उन्हे एनर्जी और बाकी सभी माइक्रो और माइक्रो न्यूट्रीसियन की जरूरत पड़ने लगती है। तब हमारी भारतीय माँ अपने बच्चों को थोड़ा-थोड़ा करके हर चीज का स्वाद चखाना शुरू कर देती है। तो चलिए आज हम इस आर्टिकल के मदद से जानते हैं की 6 से 12 महीने के बच्चे को क्या, कितना, कैसे और कब खाना चाहिए।
क्या 6 महीने के बाद बच्चों को कंप्लीमेंट्री फूड को खिलाया जा सकता है?
जी हाँ 6 महीने से एक छोटे बच्चे से को कप्लीमेंट्री फूड को खिलाया जा सकता है। क्योंकि 6 महीने से बच्चे से की न्यूट्रीसियन आवश्यकता बदल जाती है। इसी की वजह से केवल माँ का दूध बच्चे के लिए काफी नहीं रहता है। इसलिए हम बच्चे को 6 महीने के बाद माँ के दूध के साथ और भी चीजें खिलाना शुरू कर देते हैं। जिसे हम कंप्लीमेंट्री फूड कहते हैं।
कंप्लीमेंट्री फूड स्टार्ट करवाने का एक सही तरीका हो सकता है की जब आप पहली बार अपने बच्चे को खाने को कुछ दें तब यह हो सकता है की उसे मुंह से बाहर निकाल दें, या थूक दे । ऐसा कुछ भी हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है की अभी बच्चे को किसी भी चीज को चबाना, निगलना और स्वाद पहचानना नहीं आता है। इन सभी प्रोसेस को सीखने मे बच्चे को समय लगता है। ऐसे मे आप बच्चे को जबरदस्ती खिलाने की कोसिस न करें, उसे धीरे-धीरे थोड़ा-थोड़ा करके खिलाने की कोसिस को जारी रखिए।
इस समय एक और खास बात का ध्यान रखें की इस समय बच्चे को कोई डिस्ट्रैक्शन न हो। क्योंकि जब आप लगातार एक ही चीज को बच्चे से खिलाने की कोसिस करते हैं तब आपका बच्चा उसके स्वाद को जल्द ही ऑब्जर्व कर लेता है.
बच्चे से को कंप्लीमेंट्री फूड देने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें:
- बच्चे को कंप्लीमेंट्री फूड देना 6 महीने के बाद ही करें।
- शुरुवात मे कंप्लीमेंट्री फूड की मात्रा बहुत कम होना चाहिए जो की धीरे-धीरे करके इसे बढ़ाया जा सकता है।
- इन सभी के साथ माँ के दूध को भी कुछ समय के अंतराल मे लगातार पिलाते रहें।
- बच्चे को शुरुवात मे 1 से 2 चम्मच से ही शुरुवात करनी चाहिए। अगर संभव हो तो बच्चे को माँ के दूध के बाद ही कंप्लीमेंट्री फूड दें।
- अगर आपका बच्चा इसे मना करें तब आप इसे जबरदस्ती ना करें। जब उसे ज्यादा भूख लगे तब आप उसे दोबारा खिलाने की कोसिस करें।
- जब आपको लगे की बच्चा एक फूड के स्वाद को जान चुका हो तब आप उस फूड को लगातार कुछ दिनों तक देते रहें ताकि आपका बच्चा उस फूड से फ़ैमिलियर हो जाए।
- बच्चे को एकदम से अलग-अलग तरीके का खाना न खिलाएं। उसे धीरे-धीरे अलग-अलग खाने से परिचित होने दें।
- बच्चे को खाना खिलाते समय आप इस बात को भी नोटिस करें की बच्चे को क्या सूट कर रहा है क्या नहीं।
- इस बात का विशेष ध्यान रखे की जब भी आप बच्चे को खाना खिला रहे हों तब वह खाना ज्यादा गरम नहीं होना चाहिए।
- बच्चे को खाना खिलाते समय या बनाते समय खाने को अपने हाथ से चेक कर लें की ज्यादा गरम न हों।
- जब भी आप बच्चे का खाना बनाएं तब उस समय साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- बच्चे कोई भी बासी खाना न खिलाए बच्चे को उसे पचाने मे दिक्कत होगी और पेट भी खराब हो सकता है।
6 से 12 माह के बच्चे को क्या और कैसे दें?
- अब तक तो हम यह जान चुके हैं की बच्चे से को कंप्लीमेंट्री फूड देते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। अब हम जानेंगे की ऐसी कौन सी चीजें हैं जो एक 6 से 12 महीने के बच्चों को दी जा सकती है। और किस तरीके से दी जा सकती है।
- आमतौर पे शुरुवात मे बच्चे को अनाज खिलाया जाता है। बच्चे को 6 महीने मे कम मात्रा मे मैश्ड चावल, रागी पॉरिज, मुलायम रोटी, दूध मे डूबा हुआ ब्रेड या दही मे मिक्स मैश्ड चावल ये सभी चीजों को आप अपने बच्चे को खिला सकते हैं।
- आप यह मान कर चलिए जब बच्चा 7-8 महीने का हो जाता है तब आप उसे उस समय 4-5 बड़े चम्मच कंप्लीमेंट्री फूड दे सकते हैं। हालांकि यह हर बच्चे से कपैसिटी पे निर्भर करते है तो उस हिसाब से इसे कम या ज्यादा कर सकते हैं।
- इस समय आप अच्छी पतली हुई दाल, उबले हुए आलू या उबले हुए शकरकंदी या सॉफ्ट दलिया खिलाना स्टार्ट कर सकते हैं।
- फल और सब्जियों मे कई तरह के मिनरल्स और विटामिंस होते हैं और फाइबर होते हैं। जिसकी वजह से यह जितना बड़ों के लिए उतना ही बच्चों के लिए भी लाभदायक होता है। इससे बच्चे का डाइजेशन अच्छा रहता है और इम्यूनिटी भी काफी इम्प्रूव होती है।
- फलों मे हम अलग अलग तरह के फलों के फ्लेवर से बच्चों को परिचित करा देना चाहिए। फलों मे जैसे पपीता, आम जैसे फलों को बच्चों थोड़ा थोड़ा करके खिलाना शुरू कर देना चाहिए।
- घर का बना हुआ फ्रूट्स जैम भी आप अपने बच्चों को खिला सकते हैं।
- 6 से 8 माह के बच्चे को मैश्ड भोजन दे सकते हैं। अगर आपका बच्चा उसे स्वीकार नहीं कर रहा है तो आप वेजीटेबल सूप से शुरुवात कर सकते हैं।
- अगर आप बच्चे के डाइट मे अण्डा देना चाहते हैं तो आप बहुत ही कम मात्रा मे उबले हुए अंडे को दे सकते हैं।
- अगर आप चाहे तो बच्चे को 8-9 महीने बाद अपने बच्चे को मैश्ड किया हुआ चिकन खिलाना शुरू कर सकते हैं। ध्यान रहे की नॉनवेज हमेसा अच्छे से साफ और पका होना चाहिए। और इसमे मसालों को बहुत ही कम रखें।
- जैसे -जैसे आपका बच्चा बड़ा होता जाए वैसे-वैसे आप अपने कंप्लीमेंट्री फूड की मात्रा को बढ़ाते जाइएगा। जैसे एक 6-8 महीने के बच्चे को 2 से 3 बार और 9-11 महीने के बच्चे को 3-4 बार खिलना चाहिए।
कौन सी चीजों को बच्चे के डाइट मे अवॉइड करनी चाहिए:
- अब तक हम जान चुके हैं की ऐसी कौन-कौन सी चीजों को बच्चों को खिलाना चाहिए और कैसे अब हम जानेंगे की हमे किन चीजों को बच्चे के डाइट मे से अवॉइड करना चाहिए।
- जब तक बच्चे के अच्छे से दांत न आ जाए तब तक आप बच्चे को नट्स नहीं खिलाना चाहिए। या फिर इसे अच्छे से ग्राइन्ड कर के दूध के साथ बच्चे को पीला सकते हैं।
- आधे कच्चे पके हुए अंडे नहीं देना चाहिए ध्यान रहे है अगर आप बच्चे के डाइट मे अंडे को शामिल कर रहे हैं तो अण्डा अच्छा से प्रापर पका होना चाहिए।
- बच्चे को कभी भी कोल्ड ड्रिंक नहीं पिलाना चाहिए इससे बच्चे को एलर्जी हो सकती है।
तो अब तक तो आपके अपने बच्चे के डाइट से रिलेटेड सभी सवालों का जवाब मिल चुका होगा। क्योंकि ऊपर आज मैंने उन सभी बातों का जिक्र कर दिया है जो आपको अपने बच्चे के डाइट् से था।
Disclaimer: ये लेख इंटरनेट रिसर्च पर आधारित है, मैं कोई डॉक्टर नहीं हूँ। ये जानकारी सिर्फ सीखने के लिए है, इसे इलाज की सलाह ना समझें। अपने बच्चे के खाने के बारे में किसी अच्छे बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें।
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22 साल से रसोई में, प्यार से पकाती हूँ!
मैं अंजनी सिंह, एक आम सी गृहिणी हूँ। भारतीय खाने में मेरा खासा लगाव है। दादी-नानी से सीखे हुए पुराने ज़माने के व्यंजन हो, या फिर नए ज़माने के फ्यूज़न फ्लेवर, मैं हर तरह के स्वादिष्ट खाने बनाने की कोशिश करती हूँ।
“Mom’s recipe” के ज़रिए मैं आप सभी के साथ अपनी पाक कला का अनुभव बाँटना चाहती हूँ। उम्मीद है कि यहाँ आपको वो सारे स्वाद मिलेंगे जो आपके दिल को छू जाएँ।